Thursday, May 24, 2012

देखा जो आईना तो मुझे सोचना पडा


देखा जो आईना तो मुझे  सोचना पडा
खुद से न मिल सका तो मुझे सोचना पड़ा

उसका जो ख़त मिला तो मुझे सोचना पडा
अपना सा वो लगा तो मुझे सोचना पडा

मुझ को था ये गुमान कि मुझी में है एक अना
देखी तेरी अना तो मुझे सोचना पड़ा

दुनिया समझ रही थी की नाराज़ मुझसे है
लेकिन वो जब मिला तो मुझे सोचना पड़ा

इक दिन वो मेरे ऐब गिनाने लगा 'फराख'
जब खुद ही थक गया तो मुझे सोचना पड़ा

Lyricist : Farakh Roohvi

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