Friday, May 25, 2012

शाम से आँख में नमी सी है


शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आपकी कमी सी है

दफ्न कर दो हमे की सांस मिल
नव्ज कुछ देर से थमी सी है

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर
इसकी आदत भी आदमी सी है

कोई रिश्ता नहीं रहा फिर भी
एक तस्लीम लाजमी सी है

Lyricist : Gulzar

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