धुआं बना के फिजा में उड़ा दिया मुझको
मैं जल रहा था, किसी ने बुझा दिया मुझको
खड़ा हूँ आज भी रोटी के चार हर्फ़ लिए
सवाल यह है के किताबों ने क्या दिया मुझको
सफ़ेद संग की चादर लपेट कर मुझ पर
फसीने-सहर से किसने सजा दिया मुझको
मैं एक ज़र्रा, बुलंदी को छूने निकला था
हवा ने थम के ज़मीं पर गिरा दिया मुझको
Singer: Lata Mangeshkar
Album: Sajda
Lyricist: Nazeer Baqri
Music: Jagjit Singh
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