ख़ुदा हमको ऐसी ख़ुदाई ना दे,
के अपने सिवा कुछ दिखाई ना दे ।
ख़तावार समझेगी दुनिया तुझे,
अब इतनी ज्यादा सफ़ाई ना दे ।
हँसो आज इतना के इस शोर में,
सदा सिसकीयों की सुनाई ना दे ।
अभी तो बदन में लहू है बहुत,
कलम छीन ले रौशनाई ना दे ।
ख़ुदा ऐसे एहसास का नाम है,
रहे सामने और दिखाई ना दे ।
Lyrics : Bashir Badr
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