Thursday, December 30, 2010

सफ़र में धुप तो होगी

सफ़र में धुप तो होगी, जो चल सको तो चलो,
सभी हैं भीड़ में, तुम भी निकल सको तो चलो |


इधर उधर कई मंजिल हैं, चल सको तो चलो,
बने बनाए हैं सांचे, जो ढल सको तो चलो |


किसी के वास्ते राहें, कहाँ बदलती है,
तुम अपने आप को खुद ही, बदल सको तो चलो |

यहाँ किसी को, कोई रास्ता नहीं देता,
मुझे गिरा के अगर तुम, संभल सको तो चलो |

यही है ज़िन्दगी, कुछ ख्वाब चंद उम्मीदें,
इन्ही खिलोनों से तुम भी, बहल सको तो चलो |


हर इक सफ़र को है, महाफूस रास्तों की तलाश,
हिफाज़तों की रिवायत, बदल सको तो चलो |

कही नहीं कोई सूरज, धुंआ धुंआ है फिजा,
खुद अपने आप से बाहर, निकल सको तो चलो |


Lyricist : Nida Fazli

No comments:

Post a Comment