Thursday, December 30, 2010

तेरे खुश्बू में बसे ख़त

तेरे खुश्बू में बसे ख़त मैं जलाता कैसे,
प्यार में डूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे,
तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे,

जिनको दुनिया की निगाहों से छुपाये रखा,
जिनको एक उम्र कलेजे से लगाये रखा,
दीं जिनको, जिन्हें ईमान बनाये रखा...

जिनका हर लफ्ज़ मुझे याद पानी की तरह,
याद थे मुझको जो पैगाम-ए-ज़ुबानी की तरह,
मुझको प्यारे थे जो अनमोल निशानी की तरह...

तुने दुनिया की निगाहों से जो बचकर लिखे,
साल-हा-साल मेरे नाम बराबर लिखे,
कभी दिन में तो कभी रात को उठकर लिखे...

तेरे ख़त आज मैं गंगा में बहा आया हूँ,
आग बहते हुए पानी में लगा आया हूँ...

Lyrics : Rajendranath Rehbar

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