मंज़िल न दे, चराग़ न दे, हौसला तो दे,
तिनके का ही सही, तू मगर आसरा तो दे ।
मैंने ये कब कहा, के मेरे हक़ में हो जवाब,
लेकिन खामोश क्यूँ है तू, कोई फ़ैसला तो दे ।
बरसों मैं तेरे नाम पे, खाता रहा फ़रेब,
मेरे खुदा कहाँ है तू, अपना पता तो दे ।
बेशक़ मेरे नसीब पे, रख अपना इख़्तियार,
लेकिन मेरे नसीब में, क्या है बता तो दे ।
Lyricist : Rana Sahri
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