Friday, December 31, 2010

कभी ख़ामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे

कभी ख़ामोश बैठोगे, कभी कुछ गुनगुनाओगे,
मैं उतना याद आऊँगा, मुझे जितना भूलाओगे ।

कोई जब पूछ बैठेगा, ख़ामोशी का सबब तुमसे,
बहुत समझाना चाहोगे, मगर समझा ना पाओगे ।

कभी दुनिया मुक्कमल बनके, आएगी निगाहों में,
कभी मेरी कमी दुनिया की, हर एक शै में पाओगे ।

कहीं पर भी रहें हमदम, मोहब्बत फिर मोहब्बत है,
तुम्हें हम याद आऐंगे, हमें तुम याद आओगे ।

Lyricist : Nazeer Banarasi

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