Thursday, December 30, 2010

सच ये है बेकार हमे गम होता है

सच ये है बेकार हमे गम होता है, 
जो चाहा था दुनिया में कम होता है | 

ढलता सूरज फैला जंगले रस्ता गुम, 
हमसे पूछो कैसा आलम होता है |

गैरों को कब फुरसत है दुःख देने की ,
जब होता है कोई अपना होता है |

ज़ख्म तो हमने इन आँखों से देखें हैं,
लोगों से सुनते हैं मरहम होता है |


Lyricist : Javed Akhtar

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