Thursday, December 30, 2010

सच्ची बात कही थी मैंने

सच्ची बात कही थी मैंने,
लोगों ने सूली पर चढ़ाया,
मुझको ज़हर का जाम पिलाया,
फिर भी उनको चैन न आया,
सच्ची बात कही थी मैंने |

ले के जहाँ भी वक़्त गया है,
ज़ुल्म मिला है, ज़ुल्म सहा है,
सच का ये ईनाम मिला है,
सच्ची बात कही थी मैंने |

सब से बेहतर कभी न बनना,
जग के रहबर कभी ना बनना,
पीर पैगम्बर कभी ना बनना,
सच्ची बात कही थी मैंने |

चुप रहकर ही वक़्त गुजारो,
सच कहने पे जां मत वारो,
कुछ तो सीखो मुझसे यारों,
सच्ची बात कही थी मैंने |

Lyrics - Sabir Dutt

No comments:

Post a Comment