सच्ची बात कही थी मैंने,
लोगों ने सूली पर चढ़ाया,
मुझको ज़हर का जाम पिलाया,
फिर भी उनको चैन न आया,
सच्ची बात कही थी मैंने |
ले के जहाँ भी वक़्त गया है,
ज़ुल्म मिला है, ज़ुल्म सहा है,
सच का ये ईनाम मिला है,
सच्ची बात कही थी मैंने |
सब से बेहतर कभी न बनना,
जग के रहबर कभी ना बनना,
पीर पैगम्बर कभी ना बनना,
सच्ची बात कही थी मैंने |
चुप रहकर ही वक़्त गुजारो,
सच कहने पे जां मत वारो,
कुछ तो सीखो मुझसे यारों,
सच्ची बात कही थी मैंने |
Lyrics - Sabir Dutt
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