हम खफा कब थे मनाने की ज़रुरत क्या है
आप के दम से तो दुनिया का भरम है कायम
आप जब हैं तो ज़माने की ज़रुरत क्या है
दिल से मिलने की तमन्ना ही नहीं जब दिल में
हाथ से हाथ मिलाने की ज़रुरत क्या है
तेरा कूचा, तेरा दर, तेरी गली काफी है
बे-ठिकानों को ठिकाने की ज़रुरत क्या है
रंग आँखों के लिए बू है दमागों के लिए
फूल को हाथ लगाने की ज़रुरत क्या है
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