Sunday, January 23, 2011

अपनी आग को ज़िन्दा रखना कितना मुश्किल है


अपनी आग को ज़िन्दा रखना कितना मुश्किल है,
पत्थर बीच आईना रखना कितना मुश्किल है ।

कितना आसान है तस्वीर बनाना औरों की,
खुद को पसे–आईना रखना कितना मुश्किल है ।

तुमने मन्दिर देखे होंगे ये मेरा आँगन है,
एक दिया भी जलता रखना कितना मुश्किल है ।

चुल्लु में हो दर्द का दरिया ध्यान में उसके होंठ,
यूँ भी खुद को प्यासा रखना कितना मुश्किल है ।

Lyricist : Ishrat Aafreen

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