अपनी आग को ज़िन्दा रखना कितना मुश्किल है,
पत्थर बीच आईना रखना कितना मुश्किल है ।
कितना आसान है तस्वीर बनाना औरों की,
खुद को पसे–आईना रखना कितना मुश्किल है ।
तुमने मन्दिर देखे होंगे ये मेरा आँगन है,
एक दिया भी जलता रखना कितना मुश्किल है ।
चुल्लु में हो दर्द का दरिया ध्यान में उसके होंठ,
यूँ भी खुद को प्यासा रखना कितना मुश्किल है ।
Lyricist : Ishrat Aafreen
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