हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छूटा करते
वक़्त की साख से लम्हे नहीं तोडा करते
जिसकी आवाज में सिलवट हो, निगाहों में सिकन
ऐंसी तस्वीर के टुकड़े नहीं जोड़ा करते
शहद जीने का मिला करता है थोडा थोडा
जाने वालों के लिए दिल नहीं थोडा करते
लगके शाहिल से जो बहता है उसे बहने दो
ऐंसे दरिया का कभी रुख नहीं मोड़ा करते
Lyricist : Gulzar
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