Thursday, May 24, 2012

कभी यूँ भी आ मेरी आँख में कि मेरी नज़र को खबर न हो


कभी यूँ भी आ मेरी आँख में कि मेरी नज़र को खबर न हो
मुझे एक रात नवाज दे मगर उसके बाद सहर न हो

वो बड़ा रहीम-ओ-करीम है मुझे ये शिफत भी अता करे
तुझे भूलने की दुआ करूँ तो दुआ में मेरी असर न हो

कभी दिन की धुप में झूम के कभी शब् के फूल को चूम के
यूँ ही साथ साथ चलें सदा कभी ख़त्म अपना सफ़र न हो

मेरे पास मेरे हबीब आ जरा और दिल के करीब आ
तुझे धडकनों में बसा लूं मैं कि बिछड़ने का कभी डर न हो


Lyricist : Bashir Badr

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