Friday, December 31, 2010

मैं रोया परदेस में

मैं रोया परदेस में, भीगा माँ का प्यार,
दुःख ने दुःख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार ।

छोटा करके देखिये, जीवन का विस्तार,
आँखों भर आकाश है, बाँहों भर संसार ।

ले के तन की नाप को, घूमे बस्ती गाँव,
हर चादर के घेर से, बाहर निकले पाँव ।

सब की पूजा एक सी, अलग अलग हर रीत,
मस्ज़िद जाए मौलवी, कोयल गाए गीत ।

पूजा-घर में मूर्ति, मीरा के संग श्याम,
जिसकी जितनी चाकरी, उतने उसके दाम ।

नदिया सीचे खेत को, तोता कुतरे आम,
सूरज ठेकेदार सा, सबको बाँटे काम ।

सातों दिन भगवान के, क्या मंगल क्या तीज,
जिस दिन सोए देर तक, भूखा रहे फ़कीर ।

अच्छी संगत बैठकर, संगी बदले रूप,
जैसे मिलकर आम से, मीठी हो गयी धूप ।

सपना झरना नींद का, जागी आँखें प्यास,
पाना खोना खोजना, सांसो का इतिहास ।

चाहे गीता बाचिए, या पढ़िये कुरान,
मेरा तेरा प्यार ही, हर पुस्तक का ज्ञान ।

Lyricist : Nida Fazli

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